मेरठ 5.8 2021 नीरा फाउंडेशन के वेविनार आयोजित

 विश्व ब्रैस्ट फीडिंग ( स्तनपान )सप्ताह (1-7 अगस्त) 2021 के अवसर पर  नीरा फाउंडेशन ने आज एक प्रतिष्ठित पैनल के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया,

 बेबीनार का विषय रहा .. "ब्रैस्ट फीडिंग (स्तन पान), माँ एवं बच्चे  के लिए एक स्वस्थ कल सुनिश्चित करता है।"जिसमें मेरठ की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ व समाज सेवी  डॉ. सरिता त्यागी,   अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात योगाचार्य राजेश जी नोयडा से , श्रीमती पूनम गोयल  इंचार्ज-सीडीपीओ, बाल विकास परियोजना, डॉ. नीरा तोमर, निदेशिका नीरा फाउंडेशन शामिल रहे  । सामाजिक कार्यकर्ता निपुण कौशिक ने चर्चा का संचालन किया।  बेबीनार में 80 से ज्यादा महिलाओं व सामाजिक कार्यकताओं ने प्रतिभाग किया ।सभी विशिष्ट वक्तागण ने विषय पर अत्यंत उपयोगी जानकारी देते हुए कई मिथकों को तोड़ा ।

योग गुरु राजेश ने चर्चा की शुरुआत इस बात से की कि किस तरह से पूरा गर्भकाल और प्रसव के बाद की अवधि माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वह इस बात पर विशेष जोर दिया कि  एक गर्भवती माँ अपनी दिनचर्या में प्राणायाम खासकर अनुलोम विलोम को अवश्य जोड़े और प्रसव के बाद भी इसे जारी रखे। इसके साथ ही उन्होंने दूध पिलाने वाली माताओं के लिए स्तन के दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एक काढ़े का विवरण भी दिया जिसे शतावर, सफेद मूसली, जीरा, सौफ और मिश्री से मिलकर घर पर ही बनाया जा सकता है।

डॉ. सरिता त्यागी ने भी माँ और बच्चे दोनों के लिए स्तनपान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे प्रसव के बाद पहला दूध बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए और बच्चे को जरूर पिलाना चाहिए। यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण में प्रासंगिक है। व माँ का प्रथम दूध बच्चे के लिये एक रोग प्रतिरोधक टीके का काम करता है  स्तनपान बच्चे को टाइप II डायबिटीज, लीवर की बीमारियों आदि से बचाने में मदद करता है और माँ में ब्रैस्ट और गर्भाशय के कैंसर की संभावना को भी कम करता है।  साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे पहले 6 महीनों के लिए, बच्चे के पोषण के लिए केवल स्तन का दूध ही पर्याप्त होता है, इसके बाद उसके आहार में अर्ध-ठोस भोजन दिया जाना चाहिए, लेकिन केवल पूरक के रूप में और मुख्य भोजन स्तन का दूध ही रहना चाहिए।

माँ को यह भी ध्यान रखना चाहिये कि दूध कभी भी लेट कर ना पिलाये इससे बच्चे में कान बहने की समस्या उत्तपन होने की संभावना बढ़ जाती है। 

अंत में, श्रीमती पूनम गोयल ने बच्चे के जन्म के संबंध में 1000 दिनों के महत्व पर बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें गर्भधारण के 270 दिन और फिर जन्म से 2 वर्ष शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर भी बहुत महत्व दिया कि कैसे एक माँ को गर्भावस्था के दौरान और बच्चे को जन्म देने के बाद भी स्तन के दूध की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अपने आहार का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 2 साल तक के बच्चे के लिए माँ का दूध प्राथमिक आहार होना चाहिए और 6 महीने के बाद बच्चे को अतिरिक्त पूरक आहार दिया जा सकता है।

नीरा फाउंडेशन की निदेशिका डॉ. नीरा तोमर ने कहा कि यह महिलाओं और बड़ी हो रही बालिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है और उन्हें स्तनपान के आसपास के मिथकों पर अनावश्यक रूप से ध्यान देने पर भी उन्हें चेताया और बताया कि यह बच्चे और माँ दोनों के लिए हर तरह से उपयोगी है।  उन्होंने कहा कि माँ का दूध कुदरत का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से इस संदेश को अधिक से अधिक फैलाने की अपील की।

वेबिनार में कई गणमान्य  व्यक्तियों  डॉ पूनम शर्मा सदस्य बाल कल्याण समिति मेरठ डॉ शिवराज मनोविज्ञान केंद्र मेरठ श्रीमती अंजू रानी प्रधनाचार्य श्रीमती शशि कौशिक श्रीमती मधुबाला   प्रेरणा तलवार बबिता सोम गीता सिंह  मिथलेश राणा  श्रीमती अनिता सिंह  सुधा अस्थाना सुनीता रानी रविता निधि सक्सेना  गीता शर्मा आदि ने भाग लिया